Tuesday, December 2, 2008

वो लम्हा जो तुम्हारे साथ गुजरा था

वो लम्हा जो तुम्हारे साथ गुजरा
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वो लम्हा जो तुम्हारे साथ गुजरा था वो अच्छा था
वो लम्हा फ़िर से हम एक बार जी पाते तो अच्छा था

तुम्हें जब याद करते हैं अश्क आंखों से झरते हैं
तुम इन अश्कों को गर मोती बना लेते तो अच्छा था

वही हैं चाँद तारे फूल कलियाँ सब नज़ारे हैं
तुम्हारी ही कमी है इक जो तुम आते तो अच्छा था

वो नगमा प्यार का जो हमने तुमने गुनगुनाया था
वो नगमा फ़िर से हम एक बार जा पाते तो अच्छा था

दूर जाकर तो जैसे भूल बैठे हो मुझे लेकिन
कभी आकर चमन दिल का खिला जाते तो अच्छा था

तुमको रूठे हुए भी कितना अरसा बीत गया है
तुम वो shikve सभी गर भूल जो पाते तो अच्छा था