Saturday, February 13, 2010

आया बसंत

प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
पेड़ों की फुनगी पर
कोमल से पल्लव
वृक्षों के झुरमुट में
पक्षी का कलरव
फूलों की गंध लिए
गाती हवाएं हैं
तन मन झुलसती
गर्मी का हुआ अंत
प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
टहनी पर दिखने लगी
कोमल कलिकाएं
मन के आंगन में छाये
सपनों के साए
उड़ते हैं हवा संग
फूलों के मकरद
प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
आमों के बौरों से
होकर मतवाली
गाती है कुहू कुहू
कोयलिया काली
छेदों मत