प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
पेड़ों की फुनगी पर
कोमल से पल्लव
वृक्षों के झुरमुट में
पक्षी का कलरव
फूलों की गंध लिए
गाती हवाएं हैं
तन मन झुलसती
गर्मी का हुआ अंत
प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
टहनी पर दिखने लगी
कोमल कलिकाएं
मन के आंगन में छाये
सपनों के साए
उड़ते हैं हवा संग
फूलों के मकरद
प्यार भरे गीत गाता आया बसंत
आमों के बौरों से
होकर मतवाली
गाती है कुहू कुहू
कोयलिया काली
छेदों मत