Saturday, February 13, 2010

तुम मेरे हो

तुम मेरे हो
फूलों में सुगंध हो जैसे
सरिता में लहरें हों जैसे
आँखों में सपने हों जैसे
तुम मेरे हो
ताल के जल में कम्पन जैसे
गीतों में तुम सुर के जैसे
दिल में कोई अरमा जैसे
तुम मेरे हो
पलकों में आसूं हों जैसे
अम्बर में चंदा हो जैसे
वृक्षों में पल्लव हों जैसे
तुम मेरे हो
इश्वर के वरदान के जैसे
कोई मीठी चाह के जैसे
हथेलिओं पर मेहदी जैसे
तुम मेरे हो
कड़ी धुप में छाया जैसे
कोयल की कुजन के जैसे
चन्दन में खुशबु के जैसे
तुम मेरे हो