Monday, November 10, 2008

ऐसे तुम मुझको

ऐसे तुम मुझको बेरुखी से सताया न करो
बेवफा कहके मुझे ऐसे रुलाया न करो

जब से बिछुडे हो अश्क बहती है मेरी ऑंखें
बर्बाद करके मुझको मुस्कुराया न करो

काटों भरीं हैं रहें और गहरी है तन्हाई
हस हस के मेरे गम को बढाया न करो

जिंदगी की रह में कुछ और भी गम हैं
इक खुशी थी प्यार की उसको घटाया न करो

नाम लिखकर मेरा किसी ख़त में अपने
बेदर्दी से तुम उसको ऐसे मिटाया न करो

बेदर्दी से तुम उसको ऐसे मिटाया न करो