Friday, November 14, 2008

कैसे टूटे दिल के रिश्ते

कैसे टूटे दिल के रिश्ते तुमको आज बताऊँ क्या
मैंने कितने आंसू रोये तुमको आज बताऊँ क्या

त्याग तपस्या झूठी हो गई प्यार हुआ बेमानी जब
गुजर गए मुह फेर के जब वो उनको अब समझाऊ क्या

तिनका तिनका नीड़ बनाया सोये सुख सपनों में हम
उडा ले गई आंधी उनको कैसे हुआ बताऊँ क्या

नाज बहुत था जिनपर मुझको रूप दिखा जब उठा नकाब
उस चेहरे पर क्या क्या कुछ था तुमको आज बताऊँ क्या

झूठे रिश्ते झूठी चाहत औ आँखों में चालाकी
अपनों ने दी ये सौगातें औरों को समझाऊ क्या

उन्हें फूल ही फूल मिले थे मुझको कांटे ही कांटे
चुभे ह्रदय में आँख भर गई दिल को अब समझाऊ क्या

निकली आह ह्रदय में कोई मन तदपा तन्हाई में
गम को मेरे वे न समझे उनको अब समझाऊ क्या