Monday, November 10, 2008

जी तो करता है

जी तो करता है कोई ख्वाब बाँहों में भर लें

लेकिन उड़ जाते हैं पल में हम उनको क्या बोलें

छोटे छोटे ख्वाब आए अपने ना हुए

कैसे बड़े ख्वाबों को हम दिल में पालें

लोग अकसर ही बदल जाते हैं मौसम की तरह

किस पर विश्वास करें और किसे अपना बोलें

प्यार का समंदर सा लहराता है जिनके लिए

क्या कसूर उनका जब हम ही न जुबां खोलें

जब से चाहा है उन्हें नींद न आई हमको

जी तो करता है उनकी बाँहों में जीभर सोलें