कैसे टूटे दिल के रिश्ते तुमको आज बताऊँ क्या
मैंने कितने आंसू रोये तुमको आज बताऊँ क्या
त्याग तपस्या झूठी हो गई प्यार हुआ बेमानी जब
गुजर गए मुह फेर के जब वो उनको अब समझाऊ क्या
तिनका तिनका नीड़ बनाया सोये सुख सपनों में हम
उडा ले गई आंधी उनको कैसे हुआ बताऊँ क्या
नाज बहुत था जिनपर मुझको रूप दिखा जब उठा नकाब
उस चेहरे पर क्या क्या कुछ था तुमको आज बताऊँ क्या
झूठे रिश्ते झूठी चाहत औ आँखों में चालाकी
अपनों ने दी ये सौगातें औरों को समझाऊ क्या
उन्हें फूल ही फूल मिले थे मुझको कांटे ही कांटे
चुभे ह्रदय में आँख भर गई दिल को अब समझाऊ क्या
निकली आह ह्रदय में कोई मन तदपा तन्हाई में
गम को मेरे वे न समझे उनको अब समझाऊ क्या