मन में कोई टीस उठी शायद
नम आँख हुई थी तब शायद
कैसे जन्मों के रिश्ते थे
इक चोट में टूट गए शायद
कोई दर्द उठा तन्हाई में
कोई याद आया होगा शायद
जब ख्वाब दिलों के टूट गए
जिंदगी तब रूठ गई शायद
हमसे बहार जब रूठी थी
पतझर आया होगा शायद
मेरे गम से ग़मगीन हुई
ये हवा सिसकती है शायद