ऐसे तुम मुझको बेरुखी से सताया न करो
बेवफा कहके मुझे ऐसे रुलाया न करो
जब से बिछुडे हो अश्क बहती है मेरी ऑंखें
बर्बाद करके मुझको मुस्कुराया न करो
काटों भरीं हैं रहें और गहरी है तन्हाई
हस हस के मेरे गम को बढाया न करो
जिंदगी की रह में कुछ और भी गम हैं
इक खुशी थी प्यार की उसको घटाया न करो
नाम लिखकर मेरा किसी ख़त में अपने
बेदर्दी से तुम उसको ऐसे मिटाया न करो
बेदर्दी से तुम उसको ऐसे मिटाया न करो